सत्यमेव जयते gideonhistory.com

वैदिक सभ्यता

प्रारंभिक युग

1 वैदिक युग का अभिप्राय, वेदों की अपौरुशेयता एवं अनादित्व, वेदों के ऋ्रशियों का अभिप्राय मंत्रों के रचियता या द्रष्टा ,वैदिक ऋषि और पौराणिक अनुश्रुति, पौराणिक अनुश्रुति के राजाओं का वेदमंत्रों का ऋषि भी होना, वैवस्वत मनु से प्रारंभ कर महाभारत युद्ध तक का काल वैदिक युग है।
2 वैदिक संहिताओं का इतिहास के लिए प्रयोग, वेद मंत्रों मे ऐतिहासिक घटनाओं के संकेत, साहदेव्य सोमक, संवरण, सुदास आदि के उल्लेख, दाषराज्ञ युद्ध राजा, अभ्यावर्ती, राजाओं के दानों को स्तुति, वेदों में इतिहास के स्बन्ध में प्राचीन आचार्यों के मन्तव्य, ऐतिहासिक और नैरुक्त सम्प्रद्रायोें में मतभेद, आधुनिक विद्वानों का मत।
3 वैदिक युग के इतिहास की सामग्री, वैदिक और पौराणिक अनुश्रुति की प्राचीनता और वैदिक युग के राजनीतिक इतिहास के लिये उसका उपयोग, पुरातत्व संबंधी सामग्री।

वैदिक साहित्य

1 वैदिक संहिताएॅं, ऋषि वंशो में चली आयी श्रुति का संहिता के रुप में संकलन, चार वेद वेदों की विविध शाखाएँ वैदिक ऋषि
2 ब्राहमण ग्रंथों का अभिप्राय, ऋ्रग्वेद के ब्रहाम्ण, यजुर्वेद के ब्राहमण, अर्थर्ववेद के ब्राहमण।
3 आरण्यक ग्रन्थ , आरण्यक ग्रंथों का परिचय।
4 उपनिशद, उपनिशदों का प्रतिपाद्य विशय, दस प्रमुख उपनिशदें और उनके प्रधान मन्तव्य।
5 अनुक्रमणियाॅं ऋषियों देवताओें छंदों आदि की सूचियों के रुप में अनुकमणी ग्रंथों का परिचय।

वैदिक साहित्य का विकास वेदांग और उपवेद

1 छह वेदागों का सामान्य परिचय
2 शिक्षा वेदांग
3 छंद वेदांग
4 व्याकरण वेदांग
5 निरक्त वेदांग
6 कल्प वेदांग श्रोत सूत्र, गृह सूत्र ,धर्म सूत्र
7 ज्योतिष वेदांग
8 प्रातिषाख्य
9 उपवेद
उपवेदों का परिचय, अन्य विद्याएं

वैदिक साहित्य की रचना का काल

1 रचना काल के निर्धारण में कठिनाइयां, भारतीय तिथिक्रम के विनिष्चय की समस्याएं, महाभारत युद्ध काल का और अन्य घटनाओं का उससे पौर्वापर्य।
2 वैदिक संहिताओं का रचना काल, वेदों का अपौरुशेयत्व और अनादित्व इस प्रष्न पर प्राचीन भारतीय विचारकों के मत, वेदों के रचना काल के संबंध में आधुनिक प्राष्चात्य विद्वानों का मत, आधुनिक भारतीयों विद्वानों के मत, चारों वेदों का एक ही समय में न बनना, ऋग्वेद की प्राचीनता और ऋग्वेद के भी कतिपय मण्डलों तथा सूक्तों का बाद के काल में विरचित होना।
3 बाहमण गंथों आरण्यकों और उपनिशदांे का रचना काल।
4 वेदागों की रचना का काल।

आर्य जाति और उसका मूल अभिजन

1 आर्य जाति, विषाल आर्य जाति और उसका व्यापक क्षेत्र।
2 आर्य जाति का मूल अभिजन विभिन्न मत मध्य एषिया , उत्तरी ध्रुव, सप्तसिन्धंव देष डेन्यूब नदी की घाटी, दक्षिणी रस, विविध मतों की विवेचना।
3 आर्य जाति का प्रसार, बोगज-कोई, ईराक का क्षेत्र , ईरान, पष्चिमी देषों में आर्य जाति के प्रसार के पुरातत्व संबंधी संकेत, भरत में आर्याें का प्रवेष।

वैदिक युग के प्राचीनतम भारतीय राज्य

1 वैदिक साहित्य से भारत के पर्वतों तथा नदियों का परिचय, ऋग्वेद में उल्लिखित पर्वत, नदियाॅं, समुद्र और प्रदेश।
2 वैदिक युग के विविध जन और राज्य, पच्चजन, दाषराज्ञ युद्ध में सम्मिलित जन दास एवं दस्यु, विविध राज्य।
3 उत्तर वैदिक युग में आर्यों के विविध राज्य, उत्तर वैदिक युग में साहित्य में नदियों , पर्वतों तथ राज्यों के उल्लेख, आर्याें का भारत में प्रसार।

वैदिक युग का राजनीतिक इतिहास

1 ऐतिहासिक अनुश्रुति
2 मानव वंष , राज्य संस्था का प्रारंभ, मानव वंष का विस्तार, अयोध्या का सूर्य ऐक्ष्वाकत वंष।
3 चंद्र वंष, ऐल वंष ऐल वंष का पूर्वी भारत में विस्तार, दक्षिणी भारत में ऐल वंष का विस्तार।
4 भारत वंष। भरत के वंषज, राजा कुर और वसु, वसु का साम्राज्य।
5 राजा रामचंद्र। रामायण, आर्याें का दक्षिण में प्रवेष।
6 यादव और कौरव वंष
7 बार्हद्रथ जरासन्ध।
8 महाभारत युद्ध।
9 वैदिक साहित्य द्वारा पौराणिक अनुश्रुति की पुश्टि।
10 वैदिक युग के राजाओं का तिथिक्रम।

प्राचीनतम इतिहास की झलक और अन्य देषों से वैदिक आर्याें के संबंध

1 प्राचीन अनुश्रुति
2 जलप्लावन, पाष्चात्य देषों में जलप्लावन की कथा, षतपथ ब्राहमण तथा मत्स्य पुराण आदि में जलप्लावन की कथा।
3 देवासुर संग्राम , देवों और असुरों का अभिप्राय , क्या असुर से दस्यु व देव अभिप्रेत है।
4 पष्चिमी एषिया में आर्य जातियों एवं आर्य राज्यों की सत्ता, बैबिलोनिया, बोगजकाई, फिनीषिया आदि।

वैदिक युग का सामाजिक जीवन

1 वर्ण व्यवस्था, वर्ण और जाति का स्वरुप और उनमें भेद। वैदिक तथा उत्तर वैदिक युगों में वर्ण भेद। वर्ण व्यवस्था का अभिप्राय, वैदिक युग में वर्णो का स्वरुप , उत्तर वैदिक युग में चातुर्वण्र्य का विकास, सूत्रग्रन्थ ों के काल में वर्ण भेद।
2 आश्रम व्यवस्था, आश्रमों का स्वरुप, चार आश्रम और उनके धर्म, आश्रम व्यवस्था का विकास।
3 विवाह और पारिवारिक जीवन, विवाह के प्रयोजन, विवाहसंस्था का स्वरुप , विवाह संबंध के निर्धारण के लिये आवष्यक बातें। सगोत्र विवाहों का निशेध, बहु पत्नी विवाह की प्रथा, विधवा विवाह।
4 रहन-सहन और खान-पान, विविध प्रकार के वस्त्र और आभूशण, केषविन्यास षैयया आदि घरेलू सामान, मांस भक्षण का प्रष्न।
5 स्त्री शिक्षा और समाज में स्त्रियों की स्थिति, स्त्रियों का यज्ञोपवीत संस्कार, वेदमंत्रों की ऋषि स्त्रियां, ब्रहामवादिनी महिलाएॅं, स्त्री का सम्पत्ति पर अधिकार।

वैदिक युग का आर्थिक जीवन

1 खेत और पषुपालन, विविध अन्न, खेती के साधन व उपकरण, वेदों मेें पालतू पषुओं का उल्लेख, विविध पषु पक्षी।
2 उद्योग और व्यवसाय , वस्त्र उद्योग, धातु उद्योग, बढई का षिल्प, अन्य उद्योग, यंत्र निर्माण।
3 व्यापार, स्थल व्यापार, सामुद्रिक व्यापार, पार्णि।
4 गृह, ग्राम और पुर, गृहों की रचना, ग्राम , पुर और दुर्ग।
5 उत्तर वैदिक काल का आर्थिक जीवन, व्यवसाय और व्यापार।

वैदिक युग की षासन संस्थाए

1 राज्य में राजा की स्थिति, राजा का वरण, राजकर्तार राजान।
2 सभा और समिति , सभा और समिति संज्ञक संस्थाओं का स्वरूप और उनके कार्य
3 उत्तर वैदिक युग की षासन संस्थाएॅं , विविध प्रकार के राज्यों का विकास, राज्याभिशेक की विधि, उसका प्रयोजन और महत्व।

वैदिक युग का धार्मिक जीवन

1 देवता और उनकी पूजा, वैदिक देवता, देवताओं की संख्या और उनके विभाग, द्युस्थानीय देवता, अन्यरिक्षस्थानीय देवता, पृथ्वीस्थानीय देवता, अन्य देवता।
2 वैदिक देवताओं का स्वरूप, अधिभौतिक, आधिदैविक औरा आध्यात्मिक अर्थों में देवताओं के स्वरूप को प्रतिपादित करने वाला मन्तव्य।
3 याज्ञिक विधिविधान, यज्ञों का प्रयोजन, विविध प्रकार के यज्ञ, गोमेघ, अजामेघ, सदृश यज्ञों का अभिप्राय, षुनःषेश का आख्यान।
4 धार्मिक मन्तव्य और आदर्ष। ऋत और सत्य, अध्यात्म भावना पुनर्जन्म और कर्मफल।
5 शिक्षा और धर्म।

तत्व चिन्तन और दर्शनशास्त्र

1 वैदिक युग का तत्व चिन्तन। वेदों में अध्यात्म-संबंधी सिंद्धात, आत्मा की अमरता, सृश्टि की उत्पत्ति और विष्व के मूल तत्व, स्वर्ग और नरक।
2 तत्व चिन्तन की नई लहर। उपनिशदों द्वारा प्रतिपादित तत्व ज्ञान, भागवत धर्म, वासुदेव कृश्ण और भगवतगीता।
3 भारत के छहः आस्तिक दर्षन। न्यायदर्षन, वैषेशिकदर्षन, सांख्यदर्षन, योगदर्षन, मीमांसादर्षन, वेदान्तदर्षन।
वेदों का अध्यात्म, तत्वचिन्तन की नई लहर, उपनिशदों में प्रतिपादित तत्वज्ञान, भगवद्गीता।